कंप्यूटर - एक परिचय

कंप्‍यूटर - एक परिचय

कंप्यूटर शब्द अंग्रेजी के "Compute" शब्द से बना है, जिसका अर्थ है "गणना", करना होता है इसीलिए इसे गणक या संगणक भी कहा जाता है, इसका अविष्‍कार Calculation करने के लिये हुआ था, पुराने समय में Computer का use केवल Calculation करने के लिये किया जाता था किन्‍तु आजकल इसका use डाक्‍यूमेन्‍ट बनाने, E-mail, listening and viewing audio and video, play games, database preparation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है, जैसे बैकों में, शैक्षणिक संस्‍थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में, Computer का उपयोग बहुतायत रूप से किया जा रहा है, computer केवल वह काम करता है जो हम उसे करने का कहते हैं यानी केवल वह उन Command को फॉलो करता है जो पहले से computer के अन्‍दर डाले गये होते हैं, उसके अन्‍दर सोचने समझने की क्षमता नहीं होती है, computer को जो व्‍यक्ति चलाता है उसे यूजर कहते हैं, और जो व्‍यक्ति Computer के लिये Program बनाता है उसे Programmer कहा जाता है।
Computer मूलत दो भागों में बॅटा होता है-

सॉफ्टवेयर - सॉफ्टवेयर Computer का वह Part होता है जिसको हम केवल देख सकते हैं और उस पर कार्य कर सकते हैं, Software का निर्माण Computer पर कार्य करने को Simple बनाने के लिये किया जाता है, आजकल काम के हिसाब से Software का निर्माण किया जाता है, जैसा काम वैसा Software । Software को बडी बडी कंपनियों में यूजर की जरूरत को ध्‍यान में रखकर Software programmers द्वारा तैयार कराती हैं, इसमें से कुछ free में उपलब्‍ध होते है तथा कुछ के लिये चार्ज देना पडता है। जैसे आपको फोटो से सम्‍बन्धित कार्य करना हो तो उसके लिये फोटोशॉप या कोई वीडियो देखना हो तो उसके लिये मीडिया प्‍लेयर का यूज करते है।

हार्डवेयर - हार्डवेयर Computer का Machinery भाग होता है जैसे LCD, की-बोर्ड, माउस, सी0पी0यू0, यू0पी0एस0 आदि जिनको छूकर देखा जा सकता है। इन Machinery Part के मिलकर computer का बाहरी भाग तैयार होता है तथा Computer इन्‍ही हार्डवेयर भागों से Computer की क्षमता का निर्धारण किया जाता है आजकल कुछ Software को Computer में चलाने के लिये निर्धारित Hardware की आवश्‍यकता होती है। यदि Software के अनुसार Computer में हार्डवेयर नहीं है तो Software को Computer में चलाया नहीं जा सकता है - 

कंप्‍यूटर हार्डवेयर क्‍या होता है -What is Computer Hardware

जैसा कि आप जानते हैं कंप्यूटर एक मशीन है और कंप्यूटर के यही मशीनरी पार्ट्स कंप्यूटर का हार्डवेयर कहलाते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि अकेला हार्डवेयर की सभी काम कर सकता है कंप्यूटर का दूसरा हिस्सा सॉफ्टवेयर भी है सॉफ्टवेयर की सहायता से ही कंप्यूटर के हार्डवेयर को निर्देश दिए जाते हैं और निर्देशों को फॉलो करते हुए हार्डवेयर सभी काम करता है 

मान लीजिए आपको कोई गाना सुनना है तो आप कंप्यूटर के किसी मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर से कोई गाना प्ले करेंगे लेकिन सुनने आपको स्पीकर की आवश्यकता होगी बिना स्पीकर की बिना स्पीकर के आप गाना नहीं सुन सकते हैं इसी प्रकार केवल स्पीकर के होने से ही आप गाना नहीं सुन सकते हैं आपके कंप्यूटर में मल्टीमीडिया एप्लीकेशन होना आवश्यक है किसी गाने को सुनने के लिए अगर आपके कंप्यूटर मल्टीमीडिया एप्लीकेशन नहीं है तो आप कंप्यूटर से कोई गाना प्ले भी नहीं कर सकते हैं अगर देखा जाए तो सॉफ्टवेयर कंप्यूटर की आत्मा है और हार्डवेयर उसका शरीर है दोनों का होना परम आवश्यक है किसी भी काम को करने के लिए

कंप्यूटर के साथ हार्डवेयर के रूप में जुड़े हुए सभी से महत्वपूर्ण होते हैं और अपना अलग-अलग काम करते हैं जैसे कीबोर्ड इनपुट लेता है और प्रिंटर आपको आउटपुट देता है

कम्प्यूटर के निम्‍न महत्वपूर्ण भाग होते है:-

•    मोनीटर या एल.सी.डी.
•    की-बोर्ड
•    माऊस
•    सी.पी.यू.
•    यू.पी.एस

मोनीटर या एल सी डी:- इसका प्रोयोग कम्प्यूटर के सभी प्रेाग्राम्स का डिस्‍प्ले दिखाता है। यह एक आउटपुट डिवाइस है।

की-बोर्ड :- इसका प्रयोग कम्प्यूटर मे टाइपिंग लिए किया जाता है, यह एक इनपुट डिवाइस है हम केवल की-बोर्ड के माध्यम से भी कम्‍प्‍यूटर को आपरेट कर सकते है।

माऊस :- माऊस कम्प्यूटर के प्रयोग को सरल बनाता है यह एक तरीके से रिमोट डिवाइस होती है और साथ ही इनपुट डिवाइस होती है।

सी. पी. यू.(सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट):- यह कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण भाग होता है हमारा सारा डाटा सेव रहता है कम्प्यूटर के सभी भाग सी. पी. यू. से जुडे रहते है। 

यू.पी.एस.(अनिट्रप पावर सप्लार्इ):- यह हार्डवेअर या मशीन कम्प्यूटर बिजली जाने पर सीधे बन्द होने से रोकती है जिससे हमारा सारा डाटा सुरक्षित रहता है।

यह सारे हार्डवेयर दो भागों में बॅटे रहता है- 

आउटपुट डिवाइस:- आपके द्वारा दी गयी कंमाड के अाधार पर प्रोसेस की गयी जानकारी का आउटपुट कंप्‍यूटर द्वारा आपको दिया जाता है जो आपको आउटपुट डिवाइस या आउटपुट यूनिट द्वारा प्राप्‍त हो जाता है आउट डिवाइस हार्डवेयर होता है आउटपुट डिवाइस सबसे बेहतर उदाहरण आपका कंप्‍यूटर मॉनिटर है यह i/o devices कहलाती है - 

आउटपुट डिवाइस (Output Device)

मोनीटर स्पीकरप्रिन्टरप्रोजेक्टरहेडफोनप्रिंटर  -  प्रिंटर एक ऐसा आउटपुट डिवाइस (Output Device) है जो सॉफ्ट कॉपी (Soft Copy) को हार्ड कॉपी (Hard Copy) में परिवर्तित (Convert) करता हैं

ईनपुट डिवाइस - इनपुट डिवाइस इनपुट डिवाइस इस होती हैं जिनसे कंप्यूटर में डेटा और कमांड स्‍टोर या एंटर कराया जा सकता है इनपुट डिवाइस मेंन मेमोरी में स्टोर किए गए डेटा और निर्देशों को बयानरी कन्वर्ट कर देती है आईये जानते है  इनपुट डिवाइस (Input Device) के बारे में  

इनपुट डिवाइस (Input Device)

आपका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले इनपुट डिवाइस कीबोर्ड है जिसकी मदद से आप कंप्यूटर पर बड़े आसानी से टाइप कर पाते हैं इनपुट डिवाइस का काफी विकास हो चुका है जिनमें डाटा को टाइप करने की जरूरत नहीं पड़ती है इस प्रकार की कुछ डिवाइसेस आपका माउस है लाइट पेन है ग्राफिक टैबलेट है जॉय स्टिक है ट्रैकबॉल है और टच स्क्रीन है यह सभी डिवाइस इस यूजर को मॉनिटर स्क्रीन पर आवश्यक चीजों को सिर्फ पाइंट करके सेलेक्ट करने की स्वतंत्रता प्रदान करती हैं इसलिए इन इनपुट डिवाइस को Pointing device भी कहा जाता है आजकल तो इनपुट डिवाइस का काफी उच्च स्तर पर इस्तेमाल हो रहा है यहां तक कि आपको टाइप करने की आवश्यकता नहीं है केवल बोलने से वॉइस इनपुट रिकग्निशन टेक्नोलॉजी की सहायता से टाइप कर सकते हैं यह वह हार्डवेअर डिवाइस होती है जिसे हमें कम्प्यूटर से कोर्इ भी डाटा या कमाण्‍ड इनपुट करा सकते हैं।

कंप्यूटर हार्डवेयर :

माउस
कीबोर्ड
स्केनर
डी.वी.डी.
ड्रार्इव
पेनड्रार्इव
कार्डरीडर 
माइक्रोफोन 

कम्प्यूटर क्या है ?

कम्प्यूटर गणितीय और अगणितीय क्रियाओं को करने वाला इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है । यह आँकड़ों को इनपुट के तौर पर लेता है उन्हें प्रोसेस करता है और आउटपुट के तौर पर अर्थपूर्ण नतीजे प्रदान करता है । हम अपरिपक्व तथ्यों को आँकड़े के रूप में इकट्ठे करते हैं और ये आँकड़े कम्प्यूटर में डाले जाते हैं । कम्प्यूटर इन आँकड़ों को प्रोसेस करके हमें सूचनायें प्रदान करता है ।

अक्सर लोग सोचते हैं कि कम्प्यूटर एक सर्वशक्तिमान सुपरमैन की तरह है परन्तु ऐसा है नहीं । यह केवल एक स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो तीव्र गति से कार्य करता है और गलती नहीं करता है । इसकी क्षमता सीमित है । यह अंग्रेजी शब्द कम्प्यूट से बना है जिसका अर्थ गणना करना है । हिन्दी में इसे संगणक कहते हैं । इसका उपयोग बहुत सारे सूचनाओं को प्रोसेस करने तथा इकट्टा करने के लिए होता है ।

कम्प्यूटर एक यंत्र है व इसे सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम के अनुसार किसी परिणाम के लिए प्रोसेस करता है । कम्प्यूटर को कृत्रिम बुद्धि की संज्ञा दी गई है । इसकी स्मरण शक्ति मनुष्य की तुलना में उच्च होती है ।

कंप्‍यूटर की संरचना

1- इनपुट यूनिट (Input unit)

इनपुट यूनिट (Input unit) कंप्यूटर के वह भाग हार्डवेयर होते हैं जिनके माध्‍यम से कंप्‍यूटर में कोई डाटा एंटर किया जा सकता है इनपुट के लिये अाप की-बोर्ड, माउस इत्‍यादि इनपुट डिवाइस का प्रयोग करते हैं साथ ही कंप्‍यूटर को सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से कंमाड या निर्देश देते हैं  यह i/o devices कहलाती है 

2- सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central processing unit)

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central processing unit) इनपुट डाटा को प्रोसेस करता है इसके लिये सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट दोनों मिलकर अंकगणितीय गणना (Arithmetic Calculation) और तार्किक गणना करते हैैं और डाटा को प्रोसेस करते हैं  CPU को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है

3- मेमोरी  (Memory)

मेमोरी कंप्यूटर का वह भाग है यूजर द्वारा इनपुट किये डाटा और प्रोसेस डाटा को संगृहीत करती है, यह प्राथमिक और द्वितीय दो प्रकार की हाेती है उदाहरण के लिये रैम और हार्ड डिस्‍क 

4- आउटपुट यूनिट (Output unit)

आपके द्वारा दी गयी कंमाड के अाधार पर प्रोसेस की गयी जानकारी का आउटपुट कंप्‍यूटर द्वारा आपको दिया जाता है जो आपको आउटपुट डिवाइस या आउटपुट यूनिट द्वारा प्राप्‍त हो जाता है आउट डिवाइस का सबसे बेहतर उदाहरण आपका कंप्‍यूटर मॉनिटर है यह i/o devices कहलाती है ।

कम्प्यूटर की विशेषताएँ :

यह तीव्र गति से कार्य करता है अर्थात समय की बचत होती है ।यह त्रुटिरहित कार्य करता है ।यह स्थायी तथा विशाल भंडारण क्षमता की सुविधा देता है ।यह पूर्व निर्धारित निर्देशों के अनुसार तीव्र निर्णय लेने में सक्षम है ।
कंप्यूटर अपनी विशेषताओं के कारण मानव जीवन का अभिन्‍न अंग बन गया है हर कोई व्‍यक्ति अपने हिसाब से कंप्‍यूटर को प्रयोग में लाता है, कंप्यूटर में अनेकों विशेषता होती है आईये जानते हैं कंप्यूटर की विशेषता

कंप्यूटर की विशेषता - Features of Computers in Hindi

कंप्यूटर की पहली विशेषता गति (Speed) - 

जहां एक आपको एक छोटी सी Calculation करने में समय लगता है वहीं Computer बडी से बडी Calculation सेेकेण्‍ड से भी कम समय में कर लेता है, यह गति उसे प्रोससर से प्रदान होती है कंप्‍यूटर की गति को हर्ट्ज में मापा जाता है, कंप्यूटर के कार्य करने की तीव्रता प्रति सेकंड्स, प्रति मिलिसेकंड्स, प्रतिमाइक्रो सेकंड्स, प्रति नेनोसेकंड्स ईत्यादी में आंकी जाती है

कंप्यूटर की दूसरी विशेषता सटीकता (Accuracy) -

त्रुटि रहित कार्य करना यानि पूरी सटीकता (Accuracy) के साथ किसी भ्‍ाी काम का पूरा करना कंप्यूटर की दूसरी विशेषता है, कंप्‍यूटर द्वारा कभी कोई गलती नहीं की जाती है, कंप्‍यूटर हमेशा सही परिणाम देता है, क्योंकि कंप्यूटर तो हमारे द्वारा बनाये गए प्रोग्राम द्वारा निर्दिष्ट निर्देश का पालन करके ही किसी कार्य को अंजाम देता है, कंप्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम गलत दिया जा रहा है तो उसके प्रोग्राम में कोई गलती हो सकती है जो मानव द्वारा तैयार किये जाते हैं

कंप्यूटर की तीसरी विशेषता स्वचलित (Automation) - 

कंप्‍यूटर को एक बाद निर्देश देने पर जब तक कि कार्य पूरा नहीं हो जाता है वह स्वचलित (Automation) रूप से बिना रूके कार्य करता रहता है उदाहरण के लिये जब Computer से Printer को 100 पेज प्रिंट करने की कंमाड दें तो पूरे 100 पेज प्रिंट करने बाद ही रूकेगा, इन सभ्‍ाी कार्यो को करने के लिये कंप्‍यूटर को निर्देश मिलते हैं वह उन्‍हीं के आधार पर उनको पूरा करता है यह निर्देश कंप्‍यूटर को प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर के द्वारा मिलते हैं हर काम काे करने के लिये अगल प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर होता है

कंप्यूटर की चौथी विशेषता स्थायी भंडारण क्षमता (permanent Storage) :

कम्प्यूटर में प्रयुक्त मेमोरी को डाटा, सूचना और निर्देशों के स्थायी भंडारण के लिए प्रयोग किया जाता है। चूंकि कम्प्यूटर में सूचनाएं इलेक्ट्राॅनिक तरीके से संग्रहित की जाती है, अतः सूचना के समाप्त होने की संभावना कम रहती है।

कंप्यूटर की पांंचवीं विशेषता विशाल भंडारण क्षमता (Large Storage Capacity) : 

कम्प्यूटर के बाह्य (external) तथा आंतरिक (internal) संग्रहण माध्यमों (हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, मैग्नेटिक टेप,सीडी राॅम) में असीमित डाटा और सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है । कम्प्यूटर में कम स्थान घेरती सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है। अतः इसकी भंडारण क्षमता विशाल और असीमित है।

कंप्यूटर की छटवीं  विशेषता भंडारित सूचना को तीव्रगति से प्राप्त करना (Fast Retrieval):

 कम्प्यूटर प्रयोग द्वारा कुछ ही सेकेण्ड में भंडारित सूचना में से आवश्यक सूचना को प्राप्त किया जा सकता है। रेम (RAM- Random Access Memory) के प्रयोग से वह काम और भी सरल हो गया है।

कंप्यूटर की सातवीं  विशेषता जल्द निर्णय लेने की क्षमता (Quick Decision) : 

कम्प्यूटर परिस्थितियों का विश्लेषण पूर्व में दिए गए निर्देशों के आधार पर तीव्र निर्णय की क्षमता से करता है।

कंप्यूटर की आठंवी विशेषता विविधता (Versatility) : 

कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य संपन्न किये जा सकते हैं। आधुनिक कम्प्यूटरों में अलग-अलग तरह के कार्य एक साथ करने की क्षमता है।

कंप्यूटर की नवीं विशेषता पुनरावृति (Repetition) : 

कम्प्यूटर आदेश देकर एक ही तरह के कार्य बार-बार विश्वसनीयता और तीव्रता से कराये जा सकते हैं।

कंप्यूटर की दसवीं  विशेषता स्फूर्ति (Agility) : 

कम्प्यूटर को एक मशीन होने के कारण मानवीय दोषों से रहित है। इसे थकान तथा बोरियत महसूस नहीं होती है और हर बार समान क्षमता से कार्य करता है।

कंप्यूटर की ग्‍यारहवीं विशेषता गोपनीयता (Secrecy) :

पासवर्ड के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य को गोपनीय बनाया जा सकता है। पासवर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में रखे डाटा और कार्यक्रमों को केवल पासवर्ड जानने वाला व्यक्ति ही देख या बदल सकता है।

कंप्यूटर की बारहवीं विशेषता कार्य की एकरूपता (Uniformity of work) : 

बार-बार तथा लगातार एक ही कार्य करने के बावजूद कम्प्यूटर के कार्य की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

कंप्यूटर की सीमाएं -

बुद्धिमता की कमी (Lack of Intelligence) - कम्प्यूटर एक मशीन है । उसमें मनुष्‍‍‍य के समान बुद्धिमता (Intelligence) नहीं है यह केवल यूजर द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करता हैं, किसी भी स्थिति में कंप्‍यूटर न तो दिये गये निर्देशों से कम काम करता है।
सामान्य बोध की कमी (Lack of Common Scene) - यह भी जानना जरूरी है कि कंप्‍यूटर कभी कोई गलती नहीं करता है, लेकिन अगर यूजर उससे गलत काम लेता है तो उसे इसका सामान्य बोध यानि Common Scene नहीं हाेता है अगर आपने कंप्‍यूटर को बताया नहीं है "सीमा एक लडकी है" तो वह उसे by default लडका ही मानेगा, उसे नाम में फर्क करना नहीं आता है, Computer एक बुद्धिमान मशीन नहीं है यह सही या गलत कि पहचान नहीं कर पाती है|
विद्युत पर निर्भरता (Dependence on electricity) - कंप्‍यूटर को काम करने के लिये विद्युत ( electricity) की आवश्‍यकता होती है बिना विद्युत ( electricity) केे कंप्‍यूटर एक धातु के डब्‍बे से ज्‍यादा और कुुछ नहीं है।
अपग्रेड और अपडेट (Upgrade and Update) - कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसे समय समय पर अपग्रेड और अपडेट (Upgrade and Update) करना होता है यदि ऐसा नहीं किया तो कंप्‍यूटर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पाता है।
वायरस से खतरा (Virus threat) - कंप्‍यूटर को हमेशा वायरस का खतरा बना रहता है, एक बार वायरस आने पर यह कंप्‍यूटर ऑपरेटिंग सिस्‍टम के साथ उसमें सुरक्षित फाइलों को भी नुकसान पहॅुचा सकता है

कम्प्यूटर के उपयोग :

शिक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान में रेलवे तथा वायुयान आरक्षण में बैंक में रक्षा में व्यापार में संचार में मनोरंजन में

कम्प्यूटर के अनुप्रयोग - 
  • डाटा प्रोसेसिंग (Data processing) - बडें और विशाल पैमाने पर डाटा प्रोसेसिंग (Data processing) करने के लिये और सूचना तैयार करने के लिये कंप्‍यूटर का प्रयोग किया जाता है इससे डाटा इकठ्ठा करना उसका विश्‍लेशण करना और सूचना प्राप्‍त करना बहुत आसान हो जाता है 
  • शिक्षा (Education) - कंप्‍यूटर में आधुनिक शिक्षा की तस्‍वीर ही बदल दी है, आज इन्टरनेट के मध्यम से हम किसी भी विषय की जानकारी कुछ ही क्षणों में प्राप्त कर सकते हैं, स्‍कूल और कॉलेजों को भी इंंटरनेट से जोड दिया गया है तथा कई जगहों पर स्‍मार्ट क्‍लास पर जोर दिया जा रहा है जो कंप्‍यूटर की वजह से ही संभव है 
  • बैंक (Bank)- बैंकिंग क्षेत्र में तो कम्प्यूटर के उपयोग ने क्रांति ही ला दी है, पुराने जमाने के बही खाते और रजिस्‍टर की जगह कंप्‍यूटर ने ले ली है बैंकों के अधिकांश कार्य कंप्‍यूटर के माध्‍यम से ही हो रहे हैं जैसे पैसे निकालना और जमा करना, यहां तक कि रूपया गिनने के ि‍लिये भी कंंम्‍यूटरीक्रत मशीने उपलब्‍ध हैं 
  • संचार (Communication)- 4जी इंटरनेट को आज बच्‍चा-बच्‍चा प्रयोग कर रहा है कंप्‍यूटर तकनीक ने ही संचार के क्षेत्र में इन्टरनेट के प्रयोग को अम्भव बनाया है और इन्टरनेट ने संचार क्रांति को जन्म दिया
  • मनोरंजन (Recreation)- मल्टीमिडिया के प्रयोग ने तो कम्प्यूटर को बहुयामी बना दिया है, कम्प्यूटर का प्रायः सिनेमा, टेलीविजन, वीडियो गेम खेलने के लिये भी किया जाता है 
  • प्रशासन (Governance) - हर एक संस्थान में अपना एक आंतरिक प्रशासन होता है और प्रशासनिक कार्य कम्प्यूटर से ही किये जाते हैं, साथ ही साथ सरकारी योजनओं का लाभ भी ई-शासन (E-governance) के रूप में आज जनों के घराेें तक पहुॅच रहा है 
  • सुरक्षा (Security)- आज बिना कम्प्यूटर के हमारी सुरक्षा व्यवस्था बिलकुल कमजोर हो जाएगी | एयरक्राफ्ट ट्रैक करने में, हवाई हमल, सीसीटीवी कैमरे में कम्प्यूटर का उपयोग होता है
  • वाणिज्य (Commerce) - दुकान, बैंक, बीमा, क्रेडिट कंपनी, आदि में कम्प्यूटर का अधिकतम उपयोग होता है | कम्प्यूटर के बिना काम करना वितीय दुनिया के लिए असंभव हो गया है
  • उद्योग (Industry)- बहुत सारे औधोगिक संस्थान; जैसे – स्टील, कैमिकल, तेल कंपनी आदि कम्प्यूटर पर निर्भर हैं | संयंत्र प्रक्रियाओं के वास्तविक नियंत्रण के लिए भी कम्प्यूटर का उपयोग करते हैं
  • चिकित्सा (Medicine) - चिकित्सा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का अनुप्रयोग विभिन्न शारीरिक रोगों का पता लगाने के लिए किया जाता है, रोगों का विश्लेषण और निदान भी कम्प्यूटर के द्वारा संभव है, आधुनिक युग में एक्स रे, सिटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड इत्यादि विभिन्न क्षेत्र में कम्प्यूटर का व्‍यापक उपयोग हो रहा है

कम्प्यूटर के कार्य

डेटा संकलन (Data Collection)
डेटा संचयन (Data Storage)
डेटा संसाधन (Data Processing)
डेटा निर्गमन (Data Output)

कंप्यूटर का इतिहास :

आज आप कंप्यूटर पर इंटरनेट चलाते हैँ, गेम खेलते है, वीडियो देखते हैं, गाने सुनते हैँ और इसके अलावा ढेर सारे ऑफिस से संबंधित काम करते हैं आज कंप्यूटर का उपयोग दुनिया के हर क्षेत्र मेँ किया जा रहा है चाहे वो शिक्षा जगत हो, फिल्म जगत हो या आपका ऑफिस हो। कोई भी जगह कंप्यूटर के बिना अधूरी है आज आप कंप्यूटर की सहायता से इंटरनेट पर दुनिया के किसी भी शहर की कोई भी जानकारी सेकेण्‍डों मे प्राप्त कर सकते हैँ ये किसी दूसरे देश मेँ बैठे अपने मित्रोँ और रिश्तेदारोँ से इंटरनेट के माध्यम लाइव वीडियो कॉंफ्रेंसिंग कर सकते हैँ यह सब संभव हुआ है कंप्यूटर की वजह से। सोचिए अगर कंप्यूटर ना होता तो आज की दुनिया कैसी दिखाई देती। 

कंप्यूटर शुरुआत कहाँ से हुई ओर क्यूँ हुई ? क्या वाकई मेँ कंप्यूटर इन सभी कामाें को करने के लिये बना था या इसका आविष्कार किसी और वजह से हुआ था आइए जानते हैँ - 

मानव के लिए गणना करना शुरु से ही कठिन रहा है मनुष्य बिना किसी मशीन के एक सीमित स्तर तक ही गणना या केलकुलेशन कर सकता है ज्यादा बडी कैलकुलेशन करने के लिए मनुष्य को मशीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है इसी जरुरत को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कंप्यूटर का निर्माण किया, यानी गणना करने के लिए। 

अबेकस - 3000 वर्ष पूूूूर्व 

अबेकस का निर्माण लगभग 3000 वर्ष पूर्व चीन के वैज्ञानिकोँ ने किया था। एक आयताकार फ्रेम में लोहे की छड़ोँ में लकडी की गोलियाँ लगी रहती थी जिनको ऊपर नीचे करके गणना या केलकुलेशन की जाती थी। यानी यह बिना बिजली के चलने वाला पहला कंप्यूटर था वास्तव मेँ यह काम करने के लिए आपके हाथो पर ही निर्भर था।

एंटीकाईथेरा तंत्र - 2000 वर्ष पूर्व 

Antikythera असल में एक खगोलीय कैलकुलेटर था जिसका प्रयोग प्राचीन यूनान में सौर और चंद्र ग्रहणों को ट्रैक करने के लिए किया जाता था, एंटीकाईथेरा यंञ लगभग 2000 साल पुराना है, वैज्ञानिको को यह यंञ 1901 में एंटीकाइथेरा द्वीप पर पूरी तरह से नष्‍ट हो चुके जहाज से जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में प्राप्‍त हुआ था, इसी कारण इसका नाम एंटीकाईथेरा सिस्‍टम पडा तभी से वैज्ञानिक इसे डिकोड करने में लगे थे और लंबे अध्ययन के बाद अब इस कंप्यूटर को डिकोड कर लिया गया है। यह मशीन ग्रहों के साथ ही आकाश में सूर्य और चांद की स्थिति दिखाने का काम करती है। एंटीकाईथेरा तंत्र ने आधुनिक युग का पहला ज्ञात एनलोग कंप्यूटर होने का श्रेय प्राप्त कर लिया, यूनानी ने एंटीकाईथेरा सिस्टम को खगोलीय और गणितीय आकड़ो का सही अनुमान लगाने के लिए विकसित किया गया था

पास्‍कलाइन (Pascaline) - सन् 1642

अबेकस के बाद निर्माण हुआ पास्‍कलाइन का। इसे गणित के विशेषज्ञ ब्लेज पास्कल ने सन् 1642 में बनाया यह अबेकस से अधिक गति से गणना करता था। ये पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था। इसे मशीन को एंडिंग मशीन (Adding Machine) कहा जाता था, Blase Pascal की इस Adding Machine को Pascaline भी कहते हैं

डिफरेंज इंजन (Difference Engine) - सन् 1822

डिफरेंस इंजन सर चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया एेसा यंत्र था जो सटीक तरीके से गणनायें कर सकता था,  इसका आविष्कार सन 1822 में किया गया था, इसमें प्रोग्राम स्टोरेज के लिए के पंच कार्ड का इस्‍तेमाल किया जाता था। यह भाप से चलता था, इसके आधार ही आज के कंप्यूटर बनाये जा रहे हैं इसलिए चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर का जनक कहते हैँ।

जुसे जेड - 3 - सन् 1941 

महान वैज्ञानिक "कोनार्ड जुसे" नें "Zuse-Z3" नमक एक अदभुत यंत्र का आविष्कार किया जो कि द्वि-आधारी अंकगणित की गणनाओ (Binary Arithmetic) को एवं चल बिन्दु अंकगणित गणनाओ (Floating point Arithmetic) पर आधारित सर्वप्रथम Electronic Computer था।

अनिएक - सन् 1946 

अमेरिका की एक Military Research room ने "ENIAC" मशीन जिसका अर्थ  (Electronic Numerical Integrator And Computer)  का निर्माण किया। "ENIAC"  दशमलव अंकगणितीय प्रणाली (Decimal Arithmetic system ) पर कार्य करता था, बाद मेें  "ENIAC"  सर्वप्रथम कंप्यूटर के रूप में प्रसिद्ध हुई जो कि आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर के रूप में विकसित हुई 

मैनचेस्टर स्‍माल स्‍केल मशीन (SSEM) - सन् 1948 

(SSEM) पहला ऐसा कंंम्‍यूटर था जो किसी भी प्राेग्राम को वैक्यूम ट्यूब (Vacume Tube) में सुरक्षित रख सकता था, इसका निक नेम Baby रखा गया था, इसे बनाया था फ्रेडरिक विलियम्स और टॉम किलबर्न ने

कार्य पद्धति आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण 

एनालॉग कंप्यूटर क्या है (What is analog computer)

इस श्रेणी में वे कंप्यूटर आते है जिनका प्रयोग भौतिक इकाइयों दाब, तापमान, लंबाई, गति आदि को मापने में किया जाता है, चलिये थोडा और समझते हैं, बात करते हैं मौसम विज्ञान की आपको हवा का दबाब, वातावरण मेें नमी या बारिश कितनी हुई या आज का सबसे कम या सबसे ज्‍यादा तापमान कितना था इन सब के आंकडें इकठ्ठा करने के लिये एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) बनाये गये हैं वर्षामापी (रेन गेज) - इससे किसी विशेष स्थान पर हुई वर्षा की मात्रा नापी जाती हैं, 2 आर्द्रतामापी (हाइग्रोमीटर) - इससे वायुमण्डल में व्याप्त आर्द्रता नापी जाती है, एनिमोमीटर - इससे वायु की शक्ति तथा गति को नापा जाता है, यानि यह सब एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) भौतिक आंकडों को इकठ्ठा करते हैं 

डिजिटल कंप्यूटर क्या है (What is Digital Computer)

डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer) वह कंप्‍यूटर होते हैं जिन्‍हें आप आमतौर पर प्रयोग करते हैं अपने घरों में, कार्यालयों में, जिसमें डिजिटल तरीके से डाटा को फीड किया जाता है और आउटपुट प्राप्‍त किया जाता है अधिकतक डिजिटल कंप्‍यूटर ही प्रयोग में आते हैं और बाजारों में आमतौर पर उपलब्‍ध रहते हैं डिजिटल कंप्यूटर डाटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके उसको इलेक्ट्रॉनिक रूप में ले जाते है।

हाइब्रिड कम्प्यूटर क्या है (What is Hybrid Computer)

हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) में एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) और डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer) दोनों के ही गुण होते है। ये कंप्‍यूटर एनालाॅॅॅग और डिजिटल से अधिक भरोसेमंद माने जाते हैं इनका काम होता है एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) से प्राप्‍त आंकडों को डिज़िटल रूप में उपलब्‍ध कराना, चिकित्‍सा, मौसम विज्ञान में इनका सबसे ज्‍यादा प्रयोग होता है 

आकार के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer based on Size) Computer Ke Prakar

1. माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)

माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) वह कंप्‍यूटर होते हैं जिन्‍हें आराम से डेस्‍क पर रखा जा सकता है, छोटे कंप्‍यूटरों का विकास 1970 में माइक्रो प्रोसेसर के अविष्कार के साथ हुआ, माइक्रो प्रोसेसर आने से सस्ते और आकार में छोटे कंप्‍यूटर बनाना संंभव हुआ, इन कंप्यूटर्स को पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer ) भी कहते है, माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) में डेस्कटॉप कम्प्यूटर, लैपटॉप, पामटॉप, टैबलेट पीसी और वर्कस्टेशन आते हैं

2. मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)

मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) अाकार और क्ष्‍ामता में माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) से बडे होते हैं, सबसे पहला मिनी कंप्यूटर 1965 में तैयार किया था, इसका आकार किसी रेफ्रिजरेटर के बराबर था, जहां एक ओर पर्सनल कंप्‍यूटर यानि माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) में एक C.P.U. होता है वहीं मिनी कंप्यूटर्स में एक से अधिक C.P.U. होते है और मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) पर एक साथ एक से अधिक व्यक्ति कार्य कर सकते है, इनका उपयोग प्रायः छोटी या मध्यम आकार की कम्पनियाँ करती हैं

3. मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) 

मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) आकार में बहुत बडें होते हैं, बडी कंपनियों में केन्द्रीय कम्प्यूटर के रूप में मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) का प्रयोग होता है, एक नेटवर्क में कई कंप्यूटरो के साथ आपस में जोड़ा जा सकता है इसमें सेकड़ो यूज़र्स एक साथ कार्य कर सकते है, मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) में नोड डॉट जेएस (Node.js) एक सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म का प्रयोग किया जाता है

4. सुपर कंप्यूटर (Super Computer) 

सुपर कंप्यूटर (Super Computer) अन्य सभी श्रेणियों माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer), मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) और मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) की तुलना में अत्‍यधिक बड़े, अधिक संग्रह क्षमता वाले और सबसे अधिक गति वाले होते हैं, इनका आकार एक सामान्य कमरे के बराबर होता है, सुपर कंप्यूटर्स का प्रयोग बड़े वैज्ञानिक और शोध प्रयोगशालाओ में शोध कार्यो में होता है, 1998 में भारत में सी-डेक द्वारा एक सुपर कंप्यूटर और बनाया गया जिसका नाम था "परम-10000", इसकी गणना क्ष्‍ामता 1 खरब गणना प्रति सेकण्ड थी अाज भारत का विश्व में सुपर कंप्यूटर के क्षेञ में नाम है

कंप्यूटर मेमोरी क्या है - 

वैसे तो CPU को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है, लेकिन जहां मनुष्‍य का मस्तिष्‍क बहुत सारे काम करने के साथ-साथ हमारी यादों को भी सुरक्षित रखने का काम करता है वहींसीपीयू (CPU) केवल अंकगणितीय गणना (Arithmetic Calculation) और तार्किक गणना कर इनपुट डाटा को प्रोसेस करता है, प्रोसेस डाटा को सुरक्षित नहीं रख सकता है, अब उस प्रोसेस डाटा को कहीं सुरि‍क्षित भी रखना होता है, तो इस कार्य जिम्‍मा कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) के पास होता है, कंप्यूटर मेमोरी को बहुत सारे छोटे भागों में बाँटा गया है, जिन्हें हम सेल कहते हैं। प्रत्येक सेल का यूनिक एड्रेस या पाथ होता है। आप जब भी कोई फाइल कंप्‍यूटर में सुरक्षित या सेव करते हैं तो वह एक सेल में सेव होती है-

कंप्यूटर मेमोरी दो प्रकार की होती है - 

  1. परिवर्तनशील -(Volatile) इसे प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) के नाम से भी जाना जाता है, इसे मुख्य मेमोरी भी कहते हैं, यह सीधे सीपीयू के सम्‍पर्क में रहती है तथा इसके डेटा और निर्देश का CPU द्वारा तीव्र तथा प्रत्यक्ष उपयोग होता है, इसे परिवर्तनशील - (Volatile) मेमोरी इसलिये कहा जाता है क्‍योंकि यह मेमोरी डेटा को परमानेंटली स्‍टोर नहीं कर सकती है उदाहरण - रैम 
  2. अपरिवर्तनशील - (Non-volatile) - इसे सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) के नाम से जाना जाता है इसका प्रयोग को ज्‍यादा मात्रा में डेटा को स्थायी रूप से स्‍टोर करने के किया जाता है इसलिये द्वितीय सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) को स्टोरेज बताया गया है ना कि मेमोरी उदाहरण - हार्डडिस्‍क 

स्‍पेस के आधार पर कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) चार प्रकार की होती है - 

  1. रजिस्टर मेमोरी (Register Memory)
  2. कैश मेमोरी (Cache Memory)
  3. प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory)
  4. सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory)

कंप्‍यूटर मेमोरी की इकाई या यूनिट - 

जिस प्रकार समय मापने के लिये सैकेण्‍ड, आवाज को नापने के लिये डेसीबल, दूरी को नापने के लिये मि0मि और वजन को नापने के लिये ग्राम जैसे मात्रक हैं, इसी प्रकार कम्‍प्‍यूटर की दुनिया में स्‍टोरेज क्षमता का नापने के लिये भी मात्रकों का निर्धारण किया गया है, इसे कंप्‍यूटर मेमोरी की इकाई या यूनिट कहते हैं -

कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) की सबसे छोटी इकाई होती है बिट (bit) एक बिट बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 में से केवल एक युग्म मूल्य (binary value) होता है और जब चार बिट को मिला दिया जाता है तो उसे निब्‍बल (Nibble) कहते हैं यानी 1 निब्‍बल = 4 बिट बाइट (Byte) 8‍ बिट के एक समूह को बाइट कहते हैं।

सामान्‍यत एक जब आप एक अंक या अक्षर अपने कम्‍प्‍यूटर में टाइप करते हैं तो उसको एक बाइट से व्‍यक्‍त किया जाता है या सीधे शब्‍दों में कहें तो वह एक बाइट के बराबर जगह घेरता है। यानी 1 बाइट = 8 बिट = 2 निब्‍बल इस प्रकार लगभग 11099511627776 बाटइ के समूह को टैराबाइट कहा जाता है और एक टैराबाईट में लगभग 20 लाख MP3 को स्‍टोर किया जा सकता है।
  • 1 बिट (bit) = 0, 1 
  • 4 बिट (bit) =  1 निब्‍बल 
  • 8‍ बिट = 1 बाइट्स (Byte)
  • 1000 बाइट्स (Byte) = एक किलोबाइट (KB)
  • 1024 किलोबाइट (KB) = एक मेगाबाइट (MB)
  • 1024 मेगाबाइट (MB) = एक गीगाबाइट (GB)
  • 1024 गीगाबाइट (GB) = एक टेराबाइट (TB)
  • 1024 टेराबाइट (TB) = एक पेंटाइट (PB)
  • 1024 पेडाबाइट (PB) = एक एक्साबाइट (EB)
  • 1024 एक्साबाइट (EB) = एक ज़ेटबाइट (ZB)
  • 1024 ज़ेटाबाइट (ZB) = एक ज़ेटबाइट (YB)


संकलन व संपादन -
अनंद श्री कृष्णन
एम.बी.ए , एम.एस.डब्ल्यू
हिंदी विश्वविद्यालय , वर्धा
7631230061

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