सामुदायिक विकास
सामुदायिक विकास की अवधारणा
हमारी संस्कृति आपस में सहयोग करने की हैं ,जिसे हम संस्कृत के वाक्य "वसुधैव कुटुंबकम" से समझ सकते हैं। भारतीय संस्कृति को ये पहलु ही सबसे अलग बनाता हैं की यहां लोग एक दूसरे के काम काज में हाथ बढ़ाते हैं तथा मिलजुलकर अपना जीवन निर्वाह करते हैं। अब हम इस बात को एक समूह के ऊपर ले जाते हैं की लोग मिलजुल कर एक साझा उद्देश्य के लिए काम करते हैं। तो हम यहां से एक समुदाय जो किसी भी कारण से संगठित हो वह अपने विकास का मार्ग मौजूद संसाधनो के द्वारा एक सामूहिक प्रयास से तय करता हैं। इस प्रकार हम देख सकते हैं की समुदाय स्तर पर विकास करने का बीज भारतीय संस्कृति में पहले से मौजूद हैं।
क्या हैं सामुदायिक विकास ?
सामुदायिक विकास ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत समुदाय के लोग साथ आकर अपनी एक जैसी समस्याओ के समाधान के लिए सामूहिक प्रयास करते हैं। यह एक व्यापक शब्द हैं जो कई प्रकार के समुदायों का प्रतिनिधित्व करता हैं जिनमे नागरिक, व्यावसायिक या सरकारी वर्ग हो सकते हैं।
सामुदायिक विकास एक प्रकार की पहल हैं जो समान रूचि या फिर समान समस्याओ वाले लोगो द्वारा सामूहिक प्रयास करके शुरू की जाती हैं। यह एक स्वप्रेरित भावना हैं।
सामुदायिक विकास शब्द का अधिकतर प्रयोग अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय देशो , ऑस्ट्रेलिया आदि देशो में किया जाता हैं।
सामुदायिक विकास के विभिन्न प्रकार
अब हम इसके विभिन्न आयामों के बारे में भारतीय परिप्रेक्ष्य से नजर डालेंगे
1. क्षमता निर्माण
इसके तहत उन गुणों के विकास पर जोर दिया जाता हैं जो समाज को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम बनाते हैं।
2. सामाजिक पूंजी निर्माण
इसके तहत उन कार्यो पर फोकस किया जाता हैं जिनसे आपसी सहयोग से लाभ की प्राप्ति होती हो।
3.अर्थिक विकास
इसके तहत समुदाय को स्थानीय संसाधनो का प्रयोग करते हुए आर्थिक विकास के लिए प्रेरित किया जाता हैं।
4.समुदाय संचालित विकास
इसके तहत योजना का उन्मुखीकरण विकेन्द्रित होता हैं और समुदाय स्तर पर नियोजन पर अधिक भरोसा किया जाता हैं।
5. परिसंपत्ति आधारित सामुदायिक विकास
इसके तहत समुदाय के प्रयासों का उन्मुखीकरण स्थायी सम्पति के निर्माण पर होता हैं। यह एक प्रकार से टिकाऊ विकास के समान हैं।
6.सहभागितापूर्ण नियोजन
इसके तहत पूरा समुदाय योजना निर्माण में भाग लेता हैं।
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