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Showing posts from March, 2020

गैर सरकारी संगठन - Non Government Organization - अध्याय -5 एन.जी.ओ के कार्यों के लिए धन का प्रबंध

गैर सरकारी संगठन -  Non Government Organization -  अध्याय -5 एन.जी.ओ के कार्यों के लिए धन का प्रबंध गैर-सरकारी संगठन की वित्तीय व्यवस्था आतरिक तया वाह्य स्रोतों पर निर्धर करती है। आंतरिक स्रोतों में इससे संबद्ध सदस्यों के सहयोग तथा बाह्य स्रोतों कें देश के भीतर कार्यरत संस्थाएं व संबंद्ध व निकाय शामिल हैं। कुछ विदेशी संगठन व निकाय भी इसे सहयोग देते हैं। गैर-सरकारी संगठन के प्रमुख स्रोतों को नीचे उत्लेखित किया जा रहा है- (क) आन्तरिक स्रोत आंतरिक स्रोतों के तहत् निम्नवत स्रोत शामिल हैं- 1. सदस्यों द्वारा दिया गया अंशदान, 2. प्रयोजन शुल्क, 3. विक्री (जैसे कि ग्रीटिंग कार्ड, मोमबत्ती/हैं, डोक्राफ्ट आइटम, होममेड फूड आइटम, पुस्तकें आदि की बिक्री), 4. व्याज, 5. समुदाय के अनुदानकर्ता संरक्षक सदस्य आदि और 6. व्यक्तिगत दान। इसके अतिरिक्त संगठन वेतनभोगी कर्मचारियों के बदले वालंटीयर्स की सेवाओं का लाभ उठाकर भी अपने संसाधन बचा सकते हैं। (ख) वाह्य स्रोत भारत के भीतर भारत में गैर-सरकारी संगठनों के प्रमुख स्रोत निम्नवत हैं- 1. ग्रांट इन एड (केन्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा)। 2. वस्तुओं के रूप में दान,

गैर सरकारी संगठन - Non Government Organization - अध्याय -4 - आम संगठनों का प्रबंधन

गैर सरकारी संगठन -  Non Government Organization -  अध्याय -4  आम संगठनों का प्रबंधन प्रबंधन चाहे वह व्यावसायिक हो या लोक कल्याणकारी, उसके उद्देश्यों और उसके मिशन की व्याख्या करना जरूरी समझा जाता है। किसी एक स्वयंसेवी संगठन के बारे में आम तौर पर इसका उल्लेख होना जरूरी माना ही जाता है । किसी एक सोसायटी के मिशन विवरण को तैयार करने में इस बात का संकेत मिलता है कि समाज के किन वर्गों की वह सेवा करना चाहता है। सोसायटी से स्पष्ट परिभाषित उद्देश्यों का उल्लेख के बिना उस संगठन के क्रियाकलापों और उसके द्वारा किये जाने वाले प्रयत्लों करें तो इसकी आवश्यकता किसी-न-किसी रूप में बहुत पहले से ही बनी हुयी थी। समय के साथ इसे न केवल लाभकारी संगठनों द्वारा महत्त्व दिया गया बल्कि ऐसे संगठनों ने भी इसे अपनाया जो कि स्वैच्छिक व गैर-लाभकारी थे। स्वैच्छिक संगठनों का प्रबंधन समस्या की पहचान, समाधान के संभावित हल, उठाए जाने वाले आवश्यक कदम एवं समस्या से बचने के उपाय लाभ प्राप्तकर्ताओं की पहचान करने के लिए अनिवार्य है। योजना व्यापारिक संगठन लाभ प्रेरित होने के कारण तीन या पांच वर्ष की योजनाएं बनाते हैं परंतु लाभ.अ

गैर सरकारी संगठन Non Government Organization अध्याय -3 कानून एवं एन.जी.ओ

गैर सरकारी संगठन Non Government Organization अध्याय -3 कानून एवं एन.जी.ओ कानून एवं एन.जी.ओ. NGO की मदद के लिये और कार्य संचालन हेतु पृथक से भी अनेक कानून बनाये गये हैं। NGO अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इन कानूनों को एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में प्रयोग में ला सकते हैं। इनमें से अधिकतर कानून मूलतः किसी व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार किये जाने या उसे शारीरिक एवं मानसिक क्षतिकारित अथवा उसकी संपत्ति को अपहृत करने या उसके हितों को दुष्प्रभावित करने से प्रतिबंधि ति करते हैं। कानून के तहत, पीड़ित व्यक्ति उपचार के कुछ तरीके अपनाने का अधिकार रखता है । अगर कोई पीड़ित व्यक्ति कानून का दरवाजा खटखटाने की स्थिति में नहीं हैं तो स्वयंसेवी संगठन या NGO उसकी मदद कर सकते हैं। NGO की मुख्य भूमिका या कर्त्तव्य है, उन व्यक्तियों के कानूनी अधिकारों की रक्षा करने में सहायता करना। बच्चों, महिलाओं के कल्याण, उपभोक्ताओं के अधिकार, नशीली और मादक दवाइयां या वस्तुएं, पशुओं के साथ अत्याचार, वन्य जीवों, पर्यावरण, प्रदूषण आदि से संबंधित विभिन्न कानूनों पर मूल अधिनियम, मार्गदर्शक (guidlines) और सामान्य पुस्तकें विभिन्

महात्मा गांधी की धार्मिक दृष्टिकोण - सत्य ही ईश्वर है

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महात्मा गांधी की धार्मिक दृष्टिकोण - सत्य ही ईश्वर है  प्रस्तावना मैं ऐसा मानता हूँ कि मेरे सब प्रयोगों का पूरा लेखा जनता के सामने रहे, तो वह लाभदायक सिद्ध होगा अथवा यों समझिये कि मेरा मोह है। राजनीति के क्षेत्र में हुए प्रयोगों को तो अब हिन्दुस्तान जानता है, लेकिन मेरे आध्यात्मिक प्रयोगों को, जिन्हें मैं जान सकता हूँ, और जिनके कारण राजनीति के क्षेत्र में मेरी शक्ति भी जन्मी है, उन प्रयोगों का वर्णन करना मुझे अवश्य ही अच्छा लगेगा। अगर ये प्रयोग सचमुच आध्यात्मिक हैं तो इनमें गर्व करने की गुंजाइश ही नहीं। इनमें तो केवल नम्रता की ही वृद्धि होगी। ज्यों-ज्यों मैं अपने भूतकाल के जीवन पर दृष्टि डालता जाता हूँ, त्यों-त्यों अपनी अल्पता स्पष्ट ही देख सकता हूँ। मुझे जो करना है, तीस वर्षों से मैं जिसकी आतुर-भाव से रट लगाये हुए हूँ वह तो आत्मदर्शन है,. ईश्वर का साक्षात्कार है, मोक्ष है। मेरे सारे काम इसी दृष्टि से होते हैं। मेरा सब लेखन भी इसी दृष्टि से होता है; और मेरा राजनीति के क्षेत्र में पड़ना भी इसी वस्तु के अधीन है। लेकिन ठेठ से ही मेरा यह मत रहा है कि जो एक के लिए शक्य है, वह सबके लिये भी श