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Showing posts from February, 2020

गैर सरकारी संगठन Non Government Organization अध्याय -2 एन.जी.ओ.के कर की व्यवस्था

गैर सरकारी संगठन Non Government Organization अध्याय -2 एन.जी.ओ.के कर की व्यवस्था एन.जी.ओ. और धन कर सभी कम्पनियों को कर देना पड़ता है जो विभिन्न रूपों में होता है। जैसे-मकान कर, वाहन कर, आय से अधिक धन रखने पर कर । यह सभी प्रकार के कर सरकार को अदा करने पड़ते हैं। सोसायटी हो या ट्रस्ट उसको भी धन कर देना पड़ता है। कंपनी को भी धन कर सरकार को अदा करना पड़ता है। सभी लोग :पदकपअपकनंसेद्धए भ्ये और कंपनियां धन कर देने के लिए बाधय हैं, यदि उनका कुल करयोग्य धन 30 लाख रु. ख्009-10 के लिए 15 लाख रु., से अधिक हो। ऐसे कई निर्णय हैं जिनमें श्पदकपअपकनंसश् में व्यक्तियों के समूह और ट्रस्ट को शामिल माना गया है। अतः छळव्ए चाहे ट्रस्ट, सोसायटी या कंपनी के रूप में स्थापित हों, सभी धन कर देने के लिए किसी न किसी तरह बाधय होते हैं। शुद्ध धन यह मूल्यांकन तिथि को करदाता की सभी परिसंपत्तियों के मूल्य के कुल जोड़ में से उसके ऋणों के कुल मूल्य को घटाने के बाद की राशि के बराबर होता है।  परिसंपत्तियां   निम्नलिखित परिसंपत्तियां करदाता के करयोग्य शुद्ध धन में शामिल होंगी- गेस्ट हाउस; आवासीय, व्यापारिक मकान; स्थानीय नगर

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में लगभग 3,000 टन और 12 लाख करोड़ रुपये मूल्य के सोने के भंडार सोन पहाड़ी और हरदी इलाकों में पाया गया है।

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उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में लगभग 3,000 टन और 12 लाख करोड़ रुपये मूल्य के सोने के भंडार  सोन पहाड़ी और हरदी इलाकों में पाया गया है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में लगभग 3,000 टन और 12 लाख करोड़ रुपये मूल्य के सोने के भंडार की खोज की है, जो भारत के पीली धातु के वर्तमान रिजर्व का लगभग पांच गुना है।  जिला खनन अधिकारी के.के. राय ने शुक्रवार को यहां बताया कि सोना पहाड़ी और हरदी इलाके में मिला है।  भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा सोनभद्र में सोने के भंडार को खोजने का काम 1992-93 के लगभग दो दशक पहले शुरू किया गया था।  अधिकारी ने कहा कि सोन पहाड़ी में जमा लगभग 2,943.26 टन है, जबकि हरदी ब्लॉक में 646.16 किलोग्राम है।  उन्होंने कहा कि सोने के अलावा, कुछ अन्य खनिज भी क्षेत्र में पाए गए हैं।  विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, भारत में वर्तमान में 626 टन सोने का भंडार है।  नया भंडार उस राशि का लगभग पांच गुना है और लगभग 12 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।  कथित तौर पर अंग्रेजों ने सोनभद्र क्षेत्र में सोने के भंडार को खोजने की प्रक्रिया शुरू की थी, जो क

गैर सरकारी संगठन - Non Government Organization - अध्याय -1 एन. जी. ओ . की संरचना

गैर सरकारी संगठन Non Government Organization अध्याय -1 एन. जी. ओ . की संरचना एन.जी.ओ. एक ऐसा संगठन है जिसकी संरचना कुछ व्यक्तियों द्वारा मिलकर की जाती है। यह संगठन पंजीकृत या अपंजीकृत दोनों हो सकता है लेकिन जब यह संस्था या संगठन कोई कल्याणकारी अथवा किसी अन्य सामाजिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बाहर से वित्तीय सहायता प्राप्त करना चाहता है तो धन देने वाली एजेंसियां (अन्तर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय) निश्चित रूप से उस संगठन से यह अपेक्षा करेंगी कि वे अपना एक वैध स्वरूप धारण करें। वैध स्वरूप तभी मिल सकता है जब व्यक्तियों के समूह को किसी लागू कानून के अंतर्गत पंजीकृत करा लिया गया हो। लागू अधिनियम कुछ व्यक्तियों द्वारा बनाई गई एक संस्था को जिसका उद्देश्य लाभ अर्जित करना न हो, नीचे वर्णित किसी भी भारतीय अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत कराया जा सकता है- 1. एक धर्मर्थ ट्रस्ट के रूप में । 2. सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के तहत एक सोसाइटी के रूप में। 3. कम्पनी अधिनियम, 1965 की धारा 25 के अंतर्गत एक लाइसेंस प्राप्त कम्पनी के रूप में। एन.जी.ओ. की एक ट्रस्ट के रूप में संरचना भारतीय ट्रस्ट अधिनियम की धारा 3 में

संगठन में प्रभावी नेतृत्वकर्ता के गुण -

संगठन में प्रभावी नेतृत्वकर्ता के गुण -                   प्रभावी नेतृत्व के 16 गुण -------- दोस्तों, नेतृत्व करना एक ख़ास कला है ,जो सामान्य व्यक्तित्व के अन्दर नहीं होती ! श्रेष्ठतम लीडर वही बन पाता है ,जो लोगों के दिलों पर राज करता है ! और जिसकी personality को हर कोई स्वीकारता है ! ऐसे व्यक्ति के साथ काम करने वाले लोग अपना सब कुछ उस पर निछावर करने के लिए तत्पर होते हैं !  आइये जानते हैं उन 16 गुणों को ,जो effective leadership के लिए आवश्यक हैं ---- अनुशासन प्रिय होना ----  एक नेतृत्व कर्ता को स्वयं अनुशासित जीवन जीना चाहिए ! और समय पर हर काम को पूरा करना चाहिए ! ऐसा होने पर ही उसके Subordinate और colleague अनुशासित रहेंगे और अपने निर्धारित कार्यों को समय पर पूरा करने का प्रयास करेंगे ! श्रमशीलता ---  जो व्यक्ति श्रम को ही पूजा मानते हैं तथा अपेक्षा से अधिक काम करने की चाहत व क्षमता रखते हैं ,वे ही अपने सहकर्मियों को और अधिक अच्छा करने की प्रेरणा दे सकते  हैं ! उत्तरदायी होना --- व्यक्ति को अपने कार्यों के प्रति जिम्मेदार या उत्तरदायी होने के साथ -साथ अपने अंतर्गत काम करने वालों की ग

प्रस्तावना - विकसित भारत 2020

प्रस्तावना किसी भी समाज में सामाजिक व्यवस्था की संवेदनशीलता, सजगता एवं सक्रियता उसके लोगों के जीवन की गुणवत्ता का मापदण्ड होता है। अगर सामाजिक व्यवस्था खुली, न्यायपूर्ण, समतामूलक, जीवन एवं तर्कसंगत होती है तो लोगों का जीवन अधिक सुखमय एवं शांतिपूर्ण रहता है। लेकिन जन्म पर आधारित अपरिवर्तनीय जाति व्यवस्था के दुष्प्रभावों के कारण भारतीय समाज का एक बड़ा हिस्सा मुख्य भाग से अलग-थलग होकर रह गया। जमींदारी प्रथा के काल में इनका खुल्लमखुल्ला शोषण, दुरुपयोग एवं उत्पीड़न किया गया तथा ये बेबस और चुपचाप इसे सहते गये। यह सिलसिला एक लम्बे अर्से तक चलता रहा। ब्रिटिश काल में लेशमात्र सुधार का कार्य किया गया, लेकिन इसका कोई विशेष असर नहीं हुआ बल्कि भारतीय समाज में पृथकतावाद, जातिवाद, संप्रदायवाद आदि नवीन बुराइयों ने अपनी पैठ मजबूत कर ली । स्वतंत्रता के उपरांत सामान्य रूप से और भारतीय संविधान के अंगीकृत किये जाने के पश्चात् विशेष रूप से योजनाबद्ध प्रयास प्रारंभ किये गए। हमारे देश में समाज का गौरवशाली अतीत रहा है। आरंभ से ही भारतीय समाज में निर्धनों की सहायता और असहायों की देखभाल की परंपरा रही है । इस परं

विकसित भारत 2020अध्याय - 1 ईश्वरी मंडी और मानवीय बाजार

विकसित भारत 2020 अध्याय - 1 ईश्वरी मंडी और मानवीय बाजार पुंजीवाद के उदय के साथ बाजार का दो मायनों में विस्तार हुआ। पहला, वह  भौगोलिक दृष्टि से उन इलाकों में फैला जहां वह न था यानी जहां विनिमय पारस्परिकता के आधार पर होता था और उत्पादन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर बाजार द्वारा  नहीं इंगित किए जाते थे। दूसरा, बाजार के दायरे में वे गतिविधियां भी आ गई जो अब तक उससे बाहर थीं। अब उनको माल का रूप दे दिया गया यानी उनको खरीद-फरोख्त की वस्तुओं में बदल दिया गया। जैसा कि हम पहले देख चुके हैं। संपत्ति का दायरा सिकुड़ने लगा और सामूहिक स्वामित्व और सार्वजनिक उपभोग की वस्तुओं को भी बाजार के दायरे में ला दिया गया यानी उनकी खरीद- फरोखत  होने लगी। उदाहरण के लिए स्वच्छ वायु और पेय जल नि:शुल्क नहीं रह गए । शहरों में अगर स्वच्छ वायु चाहिए तो पार्कों में प्रवेश शुल्क देकर जाइए और शुद्ध  पेय जल के लिए बोतलबंद पानी खरीदिए या अपने घर में मशीन लगाइए अथवा जल बोर्ड को शुल्क अदा कर स्वच्छ जल प्राप्त कीजिए क्योंकि नदी, तालाब, कुएं और हैंडपंप का पानी पीना निरापद नहीं रहा।  यहां तक कि पूजा-अर्जना, योगाभ्यास आदि भी नि:शुल