अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् - एक परिचय

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् - एक परिचय

September 25, 2018

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् - एक परिचय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् देश की युवा छात्र शक्ति का प्रतिनिधि संगठन है। स्वतंत्रता के तुरंत बाद जब राष्ट्र के पुनर्निर्माण की आवश्यकता थी, ऊर्जा सम्पन्न युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की स्थापना की गयी। विद्यार्थी परिषद् के अनुसार, छात्रशक्ति ही राष्ट्रशक्ति होती है। इसकी स्थापना ९ जुलाई, १९४९ को की गयी। विद्यार्थी परिषद् का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है। आज विद्यार्थी परिषद् न केवल भारत का बल्कि विश्व का सबसे बड़ा छात्र-संगठन है। अभाविप ने न केवल युगीन परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढाला है बल्कि नवीन परिवर्तनों को दिशा भी दी है। आज विद्यार्थी परिषद् की अपनी अलग पहचान और अलग स्थान है । महत्त्वपूर्ण गतिविधियाँ स्थापना काल से ही संगठन ने छात्र हित और राष्ट्र हित से जुड़े प्रश्नों को प्रमुखता से उठाया है और देशव्यापी आंदोलनों का नेतृत्व किया है। इतिहास गवाह है कि इस छात्र संघटन ने कभी भी परिस्थितियों से समझौता नहीं किया । हमेशा छात्र हित की लड़ाई लड़ी और छात्रों के चिंतन विषय को भी एक नयी दिशा दी । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने छात्र-हित से लेकर राष्ट्र के व्यापक हित से सम्बद्ध समस्याओं की ओर बार-बार ध्यान दिलाया है। बांग्लादेशी अवैध घुसपैठ और कश्मीर से धारा 370 को हटाने के लिए विद्यार्थी परिषद् समय-समय पर आन्दोलन चलाता रहा है। बांग्लादेश को तीन बीघा भूमि देने के विरुद्ध परिषद् ने ऐतिहासिक सत्याग्रह किया था। स्वतंत्रता के इतने वर्षों के बाद भी शिक्षा का क्षेत्र लगभग उपेक्षित रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् शिक्षा के व्यवसायीकरण के खिलाफ बार-बार आवाज उठाती रही है।  इसके अतिरिक्त अलगाववाद, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण, आतंकवाद और भ्रष्टाचार जैसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के खिलाफ हम लगातार संघर्षरत रहे हैं। छात्र-हित से लेकर राष्ट्र के व्यापक हित से सम्बद्ध विभिन्न समस्याओं का समाधान कर सामाजिक समरसता हासिल करना और राष्ट्र को मजबूत बनाना हमारा उद्देश्य है। अपनी विभिन्न प्रकार की रचनात्मक गतिविधियों द्वारा विद्यार्थी परिषद ने इसके समाधान का प्रयास भी किया है। बिहार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नाम सबसे ज्यादा रक्तदान करने का रिकॉर्ड है । इसके अलावा वैसे निर्धन मेधावी छात्र, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिय़े निजी कोचिंग संस्थानों में नहीं जा सकते, उनके लिये स्वामी विवेकानंद नि:शुल्क शिक्षा शिविर का आयोजन किया जाता है ।

- आनंद श्री कृष्णन

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