गैर सरकारी संगठन - Non Government Organization - अध्याय - 7- रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया

गैर सरकारी संगठन -  Non Government Organization - अध्याय - 7

रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया


रजिस्ट्रेश की प्रक्रिया के विषय में 01.06.2007 के अन्तर्गत इसका उल्लेख किया गया है। इस अवधि तक कोई ट्रस्ट/संस्थान रजिस्ट्रेशन के लिए किसी भी समय आवेदन फाइल कर सकता है । हालांकि छूट का लाभ उसी वर्ष से लिया जा सकता है जिस वर्ष में रजिस्ट्रेशन प्राप्त कर लिया गया हो।

रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन फार्म नं. 10A' (डुपलीकेट में) कमिश्नर के कार्यालय में दे दी जानी चाहिए। उसके साथ संलग्न होने वाले प्रमुख दस्तावेज निम्नलिखित हैं-

1. ट्रस्ट या संस्थान की स्थापना के दस्तावेज की मूल या प्रमाणीकृत प्रतिलिपि और एक अतिरिक्त प्रतिलिपि, या

2. सोसाइटी के मेमोरेंडम आफ एसोसिएशन और बाईलाज :

3. अगर ट्रस्ट या संस्थान आवेदन से पहले कुछ पूर्व वर्षां के लिए वजूद में रहा हो, यथानुरूप एक, दो या तीन वर्षों के खातों की दो प्रतिलिपि, जो भी उपलब्ध हों।

ट्रस्ट या संस्थान प्रमाणित है कि नहीं इसकी पूछताछ तथा दस्तावेजों के विषय में जानकारी कमिश्नर करेगा। ट्रस्ट या संस्थान के धर्मार्थ या धार्मिक प्रकार के उद्देश्यों के संबंध में और ट्रस्ट या संस्थान की गतिविधियों की प्रामाणिकता से संतुष्ट होने के बाद, कमिश्नर उस ट्रस्ट या संस्थान के रजिस्ट्रेशन की मंजूरी के आदेश पारित कर देगा। अगर वह किन्हीं कारणों से संतुष्ट नहीं होता तो रजिस्ट्रेशन नामंजूर करने के आदेश पारित कर देगा । कमिश्नर द्वारा रजिस्ट्रेशन नामंजूर करने का आदेश पारित करने से पहले आवेदक को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय दिया जायेगा। उस आदेश में रजिस्ट्रेशन नामंजूर करने के कारणों का उल्लेख भी कर दिया जाएगा। रजिस्ट्रेशन मंजूर करने या नामंजूर करने के आदेश जिस महीने में आदेश प्राप्त हुआ है उस महीने के अन्त से छह महीने के भीतर पारित कर दिया जाना चाहिए और उस आदेश की एक प्रति आवेदक ट्रस्ट को भेज दी जाएगी।

पंजीयन स्वीकृत करने से पूर्व कमिश्नर निम्नलिखित तत्वों की जांच कर सकता है-

1. ट्रस्ट का नाम क्या है? क्या रजिस्ट्रेशन मंजूर करने वाले प्राधिकारी के अधिकार क्षेत्र में मिलते जुलते नाम के अन्य ट्रस्ट हैं?

2. क्या ट्रस्ट वजूद में है और यह वह सार्वजनिक ट्रस्ट है?

3. क्या ट्रस्ट के ट्रस्टी या मैनेजर, जिनके नाम और पते दिये जाने हैं, वास्तव में वे लोग हैं जो ट्रस्ट को चलाने में रूचि रखते हैं या उनके नाम सिर्फ पदे के तौर पर उनकी जानकारी से या इसके बिना इस्तेमाल किए गए हैं? ऐसा सिर्फ उन्हें कमिश्नर के कार्यालय में बुलाकर या कमिश्नर द्वारा उनकी जाच कराके ही मालूम किया जा सकता है।

4. क्या आवेदन पत्र मैं दिखाई गई सम्पत्ति द्रस्ट की सम्पति है और अगर ऐसा है तो उस चल या अचल सम्पत्ति का अनुतित सूल्य दका है ?

5. क्या ट्रस्ट की विषय-वस्तु का पूर्ण या अधिकांश भाग या उपकी गतिविधियां रजिस्ट्रेशन मंजूर करने वाले प्राधिकारी के अधिकार क्षेत्र में आती है ।

6. क्या आवेदन पत्र और ट्रस्ट डीड में पते, पदनाम और स्थिति ट्रिस्टयों/मैनेजरों द्वारा जो ब्यौरा दिया गया है वह सही हैं?

7. क्या ट्रस्ट की सम्पत्ति पर कीई देनदारियां है?

8. ट्रस्टीशिप और मैनेजरशिप के उत्तराधिकारी बनने या बनाने का क्या तरिका है? क्या ऐसी संभावन है कि ट्रस्ट की समूची सम्पति का प्रयीम उसमें रुचि रखने वाले व्यक्तियों के व्यापार तथा उसके क्रियाकलापों को निवेशित किया गया है।

9. संस्थान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख तथा रजिस्ट्रेन के लिए प्रस्तुत की गई डीड में बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसा पाया गया है कि टस्ट का उल्लेख करता है लेकिन उनमें से किसी भी उद्देश्य का गर्मीरता से
कार्यान्वयन करने का इरादा नहीं होता। ट्रस्टियों से कहा जा सकता है कि वे अपने धर्मार्थ कार्य करने के क्षेत्र की स्पष्ट करें जिसमें वे पूरी तन्मयता से काम करना चाहेंगे। गतिविधियों के बाद में विस्तार पर कीई रोक नहीं ही सकती। उद्देश्य की धाराओं में यथासमय रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी की जानकारी में लाकर और उसकी अनुमति प्राप्त करके संशोधन किया जा सकता है।

10. ट्रस्ट की आय क्या हो सकती है? इस बात की जचि कर ली जाए कि क्या ट्रस्ट द्वारा अनुमानित आय से, यह संभव है कि ट्रस्ट अपने उद्देश्यों की पूर्ति का काम आगे चला सकता है या ट्रस्ट सिर्फ अपना रजिस्टेशन कराने में रुचि रखता है ताकि वह धर्मार्थ क्रियाकलापों की नीयत रखे विना कर में छूट के प्रयोग का लाभ उठा सके

पंजीयन के लिए आवेदन सावधानी के साथ करनी चाहिए। उसी तरह से रजिस्ट्रिंग प्राधिकारी को भी अगर वह ट्रस्ट के रजिस्ट्रेशन को नारमजूर करना चाहता है, ऐसा करने के पर्याप्त कारण अवश्य बता देना चाहिए। करदाता का यह अधिकार है कि वह धारा 12A के कमिश्नर द्वारा पारित किये गए आदेश के विरुद्ध Appellate Tribunal के समक्ष अपील दायर कर सकता है।

रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने में विलम्ब : 31 मई 2007 तक अगर रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन निर्धारित एक वर्ष की अवधि के बाद दिया जाता था, तो छूट उस वित्तीय वर्ष के पहले दिन से दी जाती थी जिसमें आवेदन दिया गया था। परन्तु कमिश्नर इस बात से संतुष्ट हो कि पर्याप्त कारणों की वजह मे उसका समय के अन्तर्गत आवेदन नहीं कर सकता तो कमिश्नर उस ट्रस्ट को उसकी रचना स्थापना की तारीख से छूट की मंजूरी दे सकता है।

परन्तु एक जून, 2007 से, रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने में विलम्ब को माफ करके पिछले वर्षों के लिए रजिस्ट्रेशन मंजूरी करने के कमिश्नर के अधिकार को समाप्त कर दिया गया है। अतः जून 2007 को या इसके बाद किये गए आवेदनों पर धारा 11 और 12 के प्रावधान उस वित्त वर्ष से सम्बन्धि कर निर्धारण वर्ष से लागू होंगे जिसमें इसका आवेदन किया गया है।

रजिस्ट्रेशन रद्दीकरण

अगर आयकर कमिश्नर इस बात से संतुष्ट होता है कि किसी ट्रस्ट या संस्थान के कार्यकलाप प्रामाणिक नहीं हैं या ट्रस्ट या संस्थान के उद्देश्यों के अनुसार नहीं चलाये जा रहे हैं तो वह संबंधित ट्रस्ट को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए उचित अवसर प्रदान करने के बाद, लिखित रूप में एक आदेश पारित करेगा जिसमें धारा 12AA (या 12A) के तहत मंजूर किया गया उसका पंजीकरण रद्द माना जायेगा ।

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