गैर सरकारी संगठन - Non Government Organization - अध्याय - 8 - एन.जी.ओ. का प्रस्ताव

गैर सरकारी संगठन -  Non Government Organization - अध्याय -8

एन.जी.ओ. का प्रस्ताव

संगठन की संचालन समिति अपनी बैठकों में और आम बैठकों में प्रस्ताव पारित कराके निर्णय लेती है। संचालन समिति अपनी बैठक में या आम सभा की
बैठक के समक्ष एक प्रस्ताव प्रस्तुत करती है जिसे मोशन कहते हैं। यदि कोई प्रस्ताव बहुमत से पारित हो जाता है तो इसे प्रस्ताव के रूप में अपना लिया जाता है। अगर कोई प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया जाता है तो उसे त्याग दिया जाता है ।

मतदान

एक प्रस्ताव मोशन पर सभा में बातचीत या विचार-विमर्श किया जाता है और इस विषय पर वोट या मत प्रदान करने हेतु कहा जाता है। यह मत दो प्राकर से
दिया जाता जा सकता है। पहला मत हाथ उठाकर और दूसरा मत पोलिंग द्वारा। यदि इसको अपेक्षित बहुमत या समर्थन प्राप्त हो जाता है तो इसे एक प्रस्ताव के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है।

कास्टिंग वोट

यदि दोनों पक्ष (पक्ष-विपक्ष) के मत सम हों तो अध्यक्ष एक दूसरा मत (कास्टिंग वोट) दे सकता है बशर्ते कि आर्टिकल्स/नियम और विनियमों में इस प्रकार
की व्यवस्था हो।

प्रस्ताव की रूपरेखा बनाना

किसी प्रस्ताव की रूपरेखा बनाते वक्त विभिन्न बातों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए जो वे बातें निम्नलिखित हैं-

1. प्रस्ताव तर्क, संगत क्रमानुसार हो।
2. सरकारी अनुमतियां, अगर प्राप्त की हो तो उनका उल्लेख किया जाए।
3. औपचारिक शब्दों में बनाया गया हो ।
4. समसामयिकता का ध्यान रखा गया हो।
5. वह स्पष्ट हो, असंदिग्ध हो और अनेकार्थक न हो।
6. अनिवार्य तथ्य शामिल कर लिए जाएं।
7. वह संक्षिप्त हो।
8. अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग प्रस्ताव होने चाहिए।
9. उनमें कानूनी प्रावधानों का अनुपालन किया गया हो।
10. उनमें आर्टिकल्स/नियमों और विनियमों का अनुपालन किया गया हो ।

प्रस्तावों का प्रारूप

कतिपय सामान्य प्रकार के प्रस्तावों के प्रारूप या नमूने नीचे उल्लेखित किये गये हैं-

प्रथम मीटिंग के प्रस्ताव

1. अध्यक्ष की नियुक्ति

यह निर्णय लिया जाता है कि श्री.....को सोसाइटी के अध्यक्ष पद ( या अन्य कोई नाम) हेतु......वर्षों की अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है । संचालन समिति इस पद पर नियुक्त व्यक्ति में अपना विश्वास प्रकट करती है और यह आशा करती है कि वह व्यक्ति सोसाइटी के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए काम करेगा और सोसाइटी को समय-समय पर मार्गदर्शन भी करायेगा । 

2. बैंक एकाउंट खोलना और उसे चलाना

यह निर्णय लिया जाता है कि.....बैंक में एक चालू खाता खोला जाए और सचिव को निर्देश दिया जाता है कि वह बैंक खाता खोलने के संबंध में सभी नियमों का पालन करें। श्री .... और श्री ....को प्राधिकृत किया जाता है कि वे इस खाते को संयुक्त रूप से चलाए।

3. अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति

यह निर्णय लिया जाता है कि श्री.....उपाध्यक्ष होगे, श्री....कोषाध्यक्ष होंगे और श्री.....सोसाइटी के सचिव होंगे।
इसके उपरान्त यह भी निर्णय लिया जाता है कि सोसाइटी के सभी पदाधिकारियों के पद अवैतनिक होंगे (या अगर कोई अन्या फैसला लिया जाता है तो वेतन भोगी) और सचिव सोसाइटी के पूर्णकालिक कर्मचारी होंगे और उन्हें.....रुपये का संयुक्त मासिक वेतन दिया जाएगा। सभी पदाधिकारियों की अवधि.....वर्ष होगी।

4. आयकर के प्रयोजन के लिए रजिस्ट्रेशन

"यह निर्णय लिया जाता है कि श्री......को, आयकर अधिनियम के अधीन जल्द से जल्द रजिस्ट्रेशन कराने और उपर्युक्त अधिनियम के तहत मंजूरी/छूट प्राप्त करने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए प्राधिकृत किया जाता है। वह इसके लिए जो प्रयत्न करेगा, उसके बारे में अध्यक्ष को उसकी सूचना देता
रहेगा और यदि आवश्यक समझेगा तो अध्यक्ष से मार्ग दर्शन भी प्राप्त करेगा। इस उद्देश्य के लिए श्री..... और श्री .......द्वारा उसके पक्ष में एक विशेष पावर आफ अटार्नी निष्पादित की जा सकती है ।"

6. नए सदस्य के प्रवेश के लिये निर्णय

"यह निर्णय लिया जाता है कि श्री .....और श्री.....को सोसाइटी की सदस्यता के लिए प्रवेश दिया जाए। सचिव को निर्देश दिया जाता है कि वह सोसाइटी के सदस्यों के रजिस्टर में इनके हस्ताक्षर करा लें और उनके नाम सदस्यता शुल्क की उपयुक्त रसीद जारी कर दें। संचालन समिति इन नए सदस्यों का स्वागत
करती है।"

सदस्यता निलम्बित करने के लिए निर्णय

"यह निर्णय लिया जाता है कि श्री......की सदस्यता आज से दो महीने की अवधि के लिए निलम्बित कर दी जाए और सचिव को यह सुझाव दिया जाता है कि वह श्री....... को उनकी सदस्यता के स्थगन की सूचना देते हुए एक नोटिस जारी करें और उनसे यह स्पष्ट करने के लिए कहें कि उनकी सदस्यता रद्द क्यों कर दी गयी।"

"इसके उपरान्त यह भी बैठक में फैसला किया जाता है कि यदि श्री......से कोई उत्तर प्राप्त होता है तो वह इसकी रिपोर्ट संचालन समिति को दें ताकि आगे की कार्रवाई के लिए निर्णय लिया जा सके ।"

सदस्य के निष्कासन के लिए निर्णय

सर्वसम्मति से "यह निर्णय लिया जाता है कि चूंकि श्री..... सोसाइटी के सदस्य का कोई अंता पता प्राप्त नहीं है और उन्हें पिछले तीन साल से अपना चन्दा
भी नहीं दिया है, उस सदस्य को सोसाइटी से उसका नाम सोसाइटी के सदस्यों के रजिस्टर से काट दिया जाए और इसकी पुष्टि आम सभा से करा ली जाए । इसके उपरान्त यह भी निर्णय लिया जाता है कि उससे सोसाइटी को देय चन्दे की रकम वसूल करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएं और यदि आवश्यक समझा जाए तो सोसाइटी के विनियमों के मुताबिक उस पर मुकदमा भी चलाया जाए।"

सोसाइटी का नाम बदलने के लिए निर्णय

संचालन समिति का निर्णय

"सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया जाता है कि सोसाइटी के नाम के बारे में विचार करने के लिए हमारे पास जो प्रस्ताव आया है, उसे कुछ बदलाव या संशोधन के साथ स्वीकार किया जाता है और उसकी पुष्टि में अध्यक्ष पर प्राक्षर कर दिये हैं। आगे यह भी निर्णय लिया जाता है कि इस सुझाव पर विचार करने के लिए सोसाइटी की आम सभा की एक विशेष आम बैठक.......तारीख को बुलाई जाए। सचिव को एतदद्वारा यह निर्देश दिया जाता है कि वह सभी सदस्यों को आवश्यक नोटिस जारी कर दे और उसके साथ प्रस्ताव की एक प्रिंटेड कॉपी भी भेज दें।

विशेष आम बैठक में निर्णय

"आम बैठक में यह निर्णय लिया जाता है कि संचालन समिति द्वारा अपनाया गया प्रस्ताव पूरे तौर पर स्वीकार किया जाता है और सोसाइटी का नाम.......(मौजूदा नाम) से बदल कर....... (नया नाम) कर दिया जाए।"

विशष अनुदान असाधारण व्यय के लिए निर्णय

सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया जाता है कि उत्तम नगर, जनकपुरी, मायापुरी, तथा धौलाकुंआ के क्षेत्र में आने वाले सभी सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को मिड-डे मील देने की व्यवस्था करने के लिए 1,00,000 रुपये (एक लाख रुपये मात्र) का एक विशेष फंड बनाया जाए और आवंटित किया जाए। इस भोजन में एक मीठा और एक नमकीन स्नैक होना चाहिए। यह पौष्टिक एवं स्वच्छ होना चाहिए और
इनमें किसी तरह की मिलावट नहीं होनी चाहिए । प्रति विद्यार्थी इस भोजन पर 6 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च नहीं होना चाहिए।"

धारा 11 (1) और 11 (2) के तहत दी जाने वाली छूट पूरक हैं

एक ट्रस्ट धारा 11(1) (a) या (b) के तहत अपनी आय के 15% के लिए उसका धर्मार्थ या धामिक उद्देश्यों के लिए प्रयोग करने के लिए संचय करके. छट
का दावा कर सकता है। इस प्रकार का संचयन करने के लिए कर निर्धारण अधिकारी को किसी तरह का नोटिस भेजने की जरूरत नहीं है। इसके अतिरिक्त, एक ट्रस्ट धारा 11 (2) के तहत, उसमें दी गई शर्तों को पूरा करके, अपनी आय के 85% तक की रकम की छूट का दावा कर सकता है। इस प्रकार, ट्रस्ट एक वर्ष में संचित की गई समूची रकम के लिए छूट का दावा कर सकता है कि कितनी छूट हुई। धारा 11 (1) (a) या (b) के तहत आय का प्रयोग करने पर जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे आय के संचित उस भाग पर लागू नहीं होते जिस पर धारा 11 (2) लागू होता है और vice versa दोनों सैक्शन के प्रावधान एक साथ लागू किए जा सकते हैं। जब कोई करदाता सैक्शन 11 (2) में बताई शर्तों को पूरा कर देता है तो संचय की गई रकम के बारे में सैक्शन 11 (1) में लगाई गई शर्ते अपने आप ही हट गई हैं। ऐसा मान लिया जाता है। सैक्शन 11 (2 ) (b) में प्रयुक्त शब्दावली इस प्रकार संचय
किया गया धन का अवश्य ही यह अर्थ लिया जाना चाहिए कि आय के 15% की छूट का जो लाभ पहले उठाया जा चुका है। यह इस प्रकार के आय का संचय उससे ऊपर का है। इसलिए निर्धारित तरीकों से निवेश की जाने वाली आय केवल वह है जो आय के 15% से अधिक आय है चूंकि खर्च नहीं की गई रकम के लिए 15 % तक की छूट धारा 11(1) (a) में उपलब्ध है, अतः छूट के लिए धारा 11(2) की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बाकी शेष 85% आय को ही विनिर्दिष्ट मदों में निवेश करना होगा यह ध्यान में रखा जाए कि सैक्शन 11 (1)(a) के तहत 15% की संचित बकाया राशि सैक्शन 13 (5) में निर्धारित तरीकों और रूपों में इसका निवेश होना चाहिए।

इसके अलावा धारा 11(1) (a) लागू करने के लिये आय को संचय करने के उद्देश्य को विर्निर्दिष्ट करने की शर्त को पूरा करना जरूरी नहीं है। धारा 11(1)(a) के तहत 15 % के कम आय की रकम के लिए छूट का दावा करने के लिए कर दाता टस्ट को धारा 11(1) (a) या (b) की शर्तों को पूरा करने की जरूरत नहीं है। धारा में इन सभी की विस्तृत जानकारी मिलती है।

छूट के लिए शर्तें


धारा 11 में छूट लेने के लिए यह आवश्यक है कि सम्पत्ति ट्रस्ट के अधीन धारण की गई हो। इसका तात्पर्य यह है कि सम्पत्ति के संबंध में ट्रस्ट परिपूर्ण हो
अर्धात् सम्पत्ति के संबंध में ट्रस्ट की रचना के लिए सभी कानूनी औपचारिकताएं को पूरा कर लिया गया हो। इसके अतिरिक्त धारा 12 A में उल्लिखित है कि धारा 11 और 12 के अन्तर्गत छूट तब तक उपलब्ध नहीं होगी जब तक निम्नलिखित शर्ते पूरी नहीं कर ली जाती हैं-

(1) पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) ट्रस्ट को अपना रजिस्ट्रेशन धारा 12AA के तहत आयकर आयुक्त के यहां करा लेना चाहिए। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तत्पश्चात् देखें।

(2) अनिवार्य आडिट: अगर किसी ट्रस्ट या संस्था की आय किसी गत वर्ष में छूट की मूल सीमा अर्थात् 160,000 रुपये से अधिक हो तो उसे अपने खाते
अर्हता प्राप्त चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा ऑडिट कराने होंगे और आय की रिटर्न के साथ फार्म नं. 10B में ऑडिट रिपोर्ट भी देनी होगी।


धारा 11 और 12 में छूट प्राप्त करने के लिए धारा 13(1) (c) और (d) में दो और अतिरिक्त शर्ते बताई गई हैं, इन शर्तों को पूरा करना अनिवार्य है-

(क) किसी धर्मार्थ या धार्मिक ट्रस्ट/इंस्टीटयूशन की आय या सम्पत्ति के किसी भी भाग का प्रयोग धारा 13(3) में उल्लेखित किसी व्यक्ति के लाभ के लिए
नहीं किया जाना चाहिए। अन्यथा ट्रस्ट की समूची आय को छूट देने से मना कर दिया जाएगा।

(ख) ट्रस्ट का फंड धारा 11(5) में निर्धारित मदों या रूप में अतिरिक्त किसी अन्य ढंग से निवेश या जमा नहीं कराया जाना चाहिए।

Comments

Popular posts from this blog

अभिप्रेरणा अर्थ, महत्व और प्रकार

शोध प्रारूप का अर्थ, प्रकार एवं महत्व

शोध की परिभाषा, प्रकार,चरण