गैर सरकारी संगठन - Non Government Organization - अध्याय - 9 - संचालन समिति

गैर सरकारी संगठन -  Non Government Organization - अध्याय -9

संचालन समिति

गैर-सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.) का प्रबंधन, कार्यपालन तथा संचालन का कार्य संचालन समिति करती है जबकि कम्पनी में संचालन का कार्य बोर्ड ऑफ डायरेक्टर करते हैं तथा ट्रस्ट के क्षेत्र में ट्रस्टियों की समिति द्वारा कार्य संचालन किया जाता है। संचालन समिति को संगठन के उद्देश्यों को ढांचें के भीतर काम करना होता है और साथ ही कानून के अंतर्गत लागू बैधानिक जिम्मेदारियों को भी पूरी तरह
निभाना होता है।

संचालन समिति के सदस्यों की नियुक्ति

ट्रस्ट के संस्थापक द्वारा ट्रस्टियों की नियुक्ति की जाती है या ट्रस्ट डीड में ट्रस्टियों की नियुक्ति के संबंध में एक प्रक्रिया बता दी जाती है। सोसाइटी के मामले में इसके प्रथम सदस्य इसकी संचालन समिति के भी सदस्य माने जाते हैं। बाद में संचालन समिति के सदस्य सोसाइटी के आर्टिकल्स/बाई लाज के मुताबिक सोसाइटी के सदस्यों में से भी चुने जाते हैं। परन्तु, कभी-कभी सरकार सार्वजनिक हित में संचालन समिति में अपना एक प्रतिनिधि भी नियुक्त कर सकती है। संचालन समिति के सदस्यों को चुनने का कार्य अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।

विदेशी नागरिकों की संचालन समिति के सदस्य के रूप में नियुक्ति

विदेशी नागरिकों को किसी संगठन का संचालन समिति के सदस्य के रूप में नियुक्ति को आम तौर पर निरूत्साहित किया जाता है तो भी निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने पर केन्द्रीय सरकार की पूर्व अनुमति प्राप्त कर लेने के बाद संचालन समिति के सदस्य के रूप में इसकी नियुक्ति की जा सकती है-

1. विदेशी नागरिक कम से कम पिछले पांच वर्षों से भारत में रह रहा हो और काम कर रहा हो,
2. विदेशी नागरिक अन्तर-सरकारी करार के अन्तर्गत प्रावधानों के अनुसार ट्रस्टियों के बोर्ड/संचालन समिति का एक अंग हो ।
3. विदेशी नागरिक का विवाह एक भारतीय नागरिक के साथ हुआ हो।
4. विदेशी नागरिक ट्रस्टियों के बोर्ड/संचालन समिति का पदेन रूप में एक ऐसा अंग है जो एक बहुपक्षी निकाय का प्रतिनिधित्व करता है जिसे विदेशी स्रोत
की परिभाषा से छूट प्राप्त है।

सदस्यों की कम से कम संख्या

संचालन समिति में सदस्यों की संख्या अधिक नहीं होना चाहिए। फिर भी ये सदस्य मेमोरेंडम एण्ड आर्टिकल्स/ट्रस्ट डीड के अनुसार ही होंगे।

समिति का कार्यकाल

संचालन समिति के सदस्यों के कार्य-काल का उल्लेख सामान्यतया ट्रस्ट डीड या नियमों और विनियमों में उल्लिखित होता है ।

सम्पत्ति के ट्रस्टीज

संचालन समिति के सदस्य ही संगठन की सम्पत्तियों के ट्रस्टी होते हैं। उन्हें संगठन की सम्पत्तियों की देखभाल और व्यवस्था का काम देखना होता है। सम्पत्ति
में चल और अचल दोनों प्रकार की सम्पत्तियों को सम्मिलित किया जा सकता है।

ऋण लेने की अनुमति नहीं है

संगठन के पदाधिकारियों के लिए ऋण लेने का कोई प्रावधान नहीं है।

संचालन समिति के वैधानिक कर्तव्य

इस समिति का प्रमुख कार्य व्यापार का संचालन करना है। अतः यह स्वाभाविक ही है कि संचालन समिति के सदस्यों को संयुक्त रूप से सभी वैधानिक प्रावधानों को पूरा करना चाहिए। इन प्रावधानों में रजिस्ट्रार के कार्यालय में दस्तावेज जमा करना, खाते रखना, संगठन के फंड की व्यवस्था करना और संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए फंड का प्रयोग करना आदि आते हैं। इसके कर्तव्य निम्नलिखित हैं-

1. वर्ष के दौरान सोसाइटी की संचालन समिति या उसके नियमों में किसी प्रकार का परिवर्तन हो तो उसकी रिपोर्ट रजिस्ट्रार को देना ।
2. हर वर्ष संचालन समिति के सदस्यों की एक सूची जमा करना जिसमें उनके नाम, पते और उनके कारोबार का उल्लेख हो ।
3. संचालन समिति या आम सभा की बैठकों की कार्यवाही तथा कार्यवृत्त का रीकॉर्ड सही रखना।
4. संगठन के रजिस्टर्ड कार्यालय में और उसके कार्य व्यापार के अन्य स्थानों पर संगठन के नाम का बोर्ड लगाना।
5. सोसाइटी के बाईलाज या वार्षिक लेखाओं की प्रतिलिपि निर्धारित शुल्क को सदस्यों में वितरित करना।
6. रजिस्टर्ड कार्यालय के स्थान या उसमें किसी तरह के परिवर्तन के बारे में रजिस्ट्रार को सूचना भेजना ।
7. सदस्यों की वार्षिक आम सभा की बैठकें बुलाना या आयोजित करना जिसमें उसकी गतिविधियों, आय और व्यय का लेखा के विषय में सूचना उपलब्ध कराई जायेगी।
8. संचालन द्वारा पारित किए गए प्रस्तावों की प्रतिलिपि, रजिस्ट्रार के कार्यालय में फाइल करना।
9. सदस्यों का एक रजिस्टर रखना।
10. सदस्यों की एक असाधारण सभा की बैठक आयोजित करना जिसमें कुछ विशेष कार्य व्यापार करना जरूरी समझा गया हो, जिसके लिए अगली आम सभा की बैठक तक के लिए इंतजार न किया जा सकता हो, जैसे कि संगठन के उद्देश्यों से संबंधित धारा के नियमों और विनियमों में किसी प्रकार का
संशोधन करना।
11. संगठन के फंड का निवेश और उनका प्रयोग करना।
12. वार्षिक आम सभा या असाधारण सभा के बारे में सभी सदस्यों को नोटिस जारी करना।

बैठकें

बैठक के माध्यम से किसी प्रकरण पर विचार-विमर्श किया जाता है। समस्या का समाधान भी बैठक के माध्यम से किया जाता है। बैठके कई प्रकार की होती
हैं, यहाँ हम आम बैठक के विषय में चर्चा करेंगे। आम बैठक वर्ष में एक बार बलाई जाती है। इसे वार्षिक मीटिंग के नाम से भी जाना जाता है। वार्षिक मीटिंग इस लिए बुलाई जाती है, ताकि उसमें पिछले वर्ष के दौरान संगठन के कार्य-कलापों, संगठन की प्रगति और उसकी उपलब्धियों पर चर्चा की जाए। आम बैठक में पिछले वित्तीय वर्ष के संगठन के लेखाओं पर भी चर्चा की जाती है और उन्हें स्वीकार किया जाता है। आम बैठक का आयोजन प्रमुख रूप से निम्न कार्यों के लिए किया जाता है-किसी अन्य क्षेत्र में संगठन की गतिविधियों का विस्तार करना, इसके मेमोरेंडम
में कुछ नए उद्देश्यों को शामिल करना तथा संचालन समिति के नए सदस्यों की नियुक्ति करना आदि प्रमुख हैं।

आम बैठक के लिए नोटिस, समय और स्थान

बैठक कहाँ होगी, कब होगी, इसका समय क्या होगा, इसकी सूचना संगठन की तरफ से सदस्यों को नोटिस के रूप में जारी की जाती है । यह नोटिस मीटिंग
की तारीख से एक सप्ताह या 10 दिन पहले या उस अवधि से पहले जारी कर दिया जाएगा जैसाकि नियमों और विनियमों में स्पष्ट निर्धारित किया गया हो । यह नोटिस डाक के जरिये भेजा जाएगा या अगर सदस्य एक ही स्थानीय इलाके में रहते हो, तो एक नोटिस रजिस्टर के माध्यम से जारी कर दिया जाएगा।

कोरम

किसी एक बैठक को बैध करार देने और उसमें कार्य व्यापार पर चर्चा करने और निर्णय लेने के लिए कम से कम जितनी संख्या में सदस्यों की उपस्थिति होनी चाहिए, उसे कोर कहते हैं। कोरम अपूर्ण होने पर मीटिंग नहीं हो सकती। बिना कोरम की मीटिंग में अगर कोई प्रस्ताव पारित किया जाता है या उसमें कोई अन्य कार्यवाही की जाती है तो वह बैद्य नहीं मानी जायेगी। एक वार्षिक आम बैठक का कोरम, संगठन के आर्टिकल्स/नियमों और विनियमों द्वारा निश्चित किया जाता है । अगर मीटिंग करने के लिए निर्धारित समय से आधे घंटे के भीतर (या जो भी समय निर्धारित किया गया हो) कोरम पूरा उपस्थित नहीं हो जाता तो यह मीटिंग स्थगित कर दी जाएगी। वह मीटिंग अगले सप्ताह के उसी दिन, उसी समय और उसी स्थान के लिए या संचालन समिति द्वारा निश्चित किए गए किसी अन्य दिन समय और स्थान पर आयोजित की जाएगी।

बैठक का अध्यक्ष (सभापति)

किसी भी बैठक या सभा को प्रभावी बनाने के लिए अध्यक्ष ( सभापति) की आवश्यकता होती है। उसकी नियुक्ति आर्टिकल्स/नियमों और विनियमों के अधीन
नियंत्रित होगी। इसके लिए सामान्य तौर पर प्रावधान यह है कि संचालन समिति का अध्यक्ष प्रत्येक आम बैठक की अध्यक्षता करेगा। फिर भी अगर, आर्टिकल्स/नियमों और विनियमों में इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है या अध्यक्ष मीटिंग की कार्यवाही शुरू
करने के लिए निर्धारित समय के बाद उपयुक्त समय के भीतर उपस्थित नहीं होता तो उपस्थित सदस्यों में से अध्यक्ष का चयन किया जाता है।

मीटिंग के कार्यवृत्त

कार्यवृत्त (मिनट्स) बैठक की कार्यवाही का एक संक्षिप्त सार होता है। मीटिंग में किसी प्रकरण पर चर्चा की जाती है।

संचालन समिति की बैठकें

बैठक के माध्यम से समिति अपने कार्य का संचालन करती है। संचालन समिति की बैठकें आर्टिकल्स/नियमों और विनियमों के प्रावधानों के मुताबिक की
जानी चाहिए। संचालन समिति की बैठक बुलाने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए-

1. मीटिंग निर्धारित समय पर करायें और इस बात का ध्यान रखें कि कोरम पूरा हो।

2. मीटिंग की कार्यवाही 'मिनट्स बुक' में अंकित कर देनी चाहिए जिससे मीटिंग के विषय में जानकारी मिल सके।

3. नोटिस जारी करने के लिए आर्टिकल्स/नियमों और विनियमों में बताई गई प्रक्रिया को अपनाएं। अगर इस बारे में कोई व्यवस्था न दी गई हो तो इस उद्देश्य के लिए सचिव या बोर्ड द्वारा प्राधिकृत कोई भी अन्य व्यक्ति नोटिस जारी कर सकता है।

4. यह नोटिस संचालन समिति के प्रत्येक सदस्य को लिखित रूप में उसे प्रेषित करना होगा।
5. आम तौर पर बैठक की कार्यसूची नोटिस के साथ भेज दी जाती है।

6. अपने एजेंडा में एक आइटम 'कोई अन्य कार्य व्यापार' के नाम से रखें जिसके अंतर्गत किसी तत्कालीन आवश्यक कार्य व्यापार पर भी चर्चा की जा सके।

7. यह नोटिस डाक द्वारा या नोटिस रजिस्टर के माध्यम से किसी भी तरह से भेजा जा सकता है।

8. संचालन समिति की पिछली बैठक के मिनट्स पुष्टि कराने के लिए तैयार रखें। उनकी पुष्टि कराके अध्यक्ष से हस्ताक्षर करवायें।

9.मीटिंग (बैठक) में कार्यसूची (एजेंडा) में दी गई आइटम के मुताबिक चर्चा करें।

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